मन और शरीर को साधे भस्त्रिका प्राणायाम
यह शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे शरीर की सभी कोशिकाएं स्वस्थ
हो जाती हैं। शरीर में गर्मी को बढ़ाकर यह कफ दोष दूर करने वाला है। भूख बढ़ाता है।
पाचन तंत्र, हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क व सभी अन्तः स्रावी
ग्रंथियां इस प्राणायाम से बलिष्ठ होने लगती हैं। इससे वात, पित्त व कफ तीनों दोष संतुलित रहते हैं और इनसे होने वाले अनेकों रोगों से
रोकथाम होती है। यह प्राणायाम तनाव, डिप्रेशन व आलस्य को दूर कर मन को
स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
विधि
आराम से सीधे बैठकर अपने ध्यान को सांस पर ले आएं। अब नाक से पूरी सांस बाहर निकाल दें। फिर नासिका से ही अधिक से अधिक सांस भरें और पूरी सांस बाहर निकाल दें। फिर लंबी-गहरी सांस भरें और सांस बाहर निकाल दें। इस प्रकार बार-बार सांस भरते व निकालते रहें। यहां सांस भरने व निकालने की थोड़ी आवाज़ होगी। सांस भरने से फेफड़ों में सांस भर जाने के कारण छाती फैलेगी और जब सांस निकालेंगे तो छाती सामान्य अवस्था में जाएगी। आंखें बंद कर ध्यान को सांस पर ही लगाए रखें। जब थकान सी लगे तब रुक जाएं और थोड़ा विश्राम करने के बाद फिर से इसका अभ्यास करें। इस प्रकार तीन राउंड अभ्यास किया जा सकता है। एक राउंड में सांस भरना व निकालना अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही करें।
सावधानियां
हाई बीपी, हृदय रोग, माईग्रेन, अस्थमा, असिडिटी तथा शारीरिक कमजोरी आदि रोगों में इस प्राणायाम के दौरान सांस भरने व निकालने की गति अति धीमी रखें। गर्मियों में इसका अभ्यास बहुत ज्यादा ना करें।
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